Kavi Devsen
महाकवि देव सेन
कवि देवसेन अपभ्रंश भाषा के प्रसिद्ध कवि हैं। जैन शासन में कई देवसेन मुनिराजों का वर्णन मिलता है। यह कवि देवसेन भी बाद में दिगंबर मुनिराज हो गए थे। देवसेन मुनि तपस्वी, जितेन्द्रियसाधक और आत्माराधक थे। इनका समय लगभग 12वीं शताब्दी माना गया है। कवि देवसेन की एकमात्र रचना सुलोयणा चरिउ प्राप्त होती है। यह रचना 28 संधियों में विभक्त है। काव्य की दृष्टि से रचना यह बहुत महत्वपूर्ण है। इस ग्रंथ में भरत चक्रवर्ती के प्रधान सेनापति जय कुमार की पत्नी सुलोचना के जीवन चरित्र का वर्णन किया गया है। कवि देवसेन ने प्राकृतिक और जीवंत चित्रण किया है। युद्ध, चोट लगना, प्राकृतिक व्यवस्था, चिंता, सहानुभूति, ममता, प्रेम, दया आदि की बहुत ही सुंदर अभिव्यंजना की गई है।